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रागो vs नमो नमो
कांग्रेस के सिपहसालारों को ये क्या हो
गया कि भीषण आंतरिक कलह के बाद कमल वालों द्वारा जब नरेन्द्र मोदी को भावी
प्रधानमंत्री का प्रत्याशी घोषित करते ही कांग्रेसियों के सूर बदल गए। मोदी एंड
पाटी फेमिली पर हमला करते हुए पंजा पाटी के सीडी टाईप के नेताओं ने गौरव भाव से यह
कहना चालू कर दिया कि यह परंपरा हमारे यहां नहीं है। दरअसल लोकतंत्र में तो लड़ाई
विवाद संभव है पर फैमिली दादागिरी में तो केवल चाटूकारिता ही संभव है। पंजा के
अधेड़ बाबा को अभी तक पीएम बनने का मन नहीं हुआ है। अपने तमाम पाटी जनों की वंदना
याचना मान मनौव्वल के बाद भी बाबा पसीज नहीं रहे है। और खासकर नमो दामोदर के
हमलावर तरीके से सामने आने के बाद तो पंजू बाबा की हलक सूखने लगी है।
यही संभव लग रहा है
कांग्रेस के सबसे काबिल ईमानदार कुशल और
कभी कभार बोलने वाले यांत्रिक रोबोट से लगने वाले लोकप्रिय प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह का पूरा जादू उतार पर है। जैसा कि अंदाजा लगाया जा रहा है कि नवम्बर में होने
वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में नतीजा यदि पंजे के काबू से बाहर निकला तो
तो मनमोहन सिंह की विदाई तय लग रही है. पाटी के भीतर ही मुन्ना को लेकर भारी संतोष
के साथ उबाल चरम पर है। माना जा रहा है कि विस चुनाव खराब रहे तो युवा बाबा राहुल
गांधी पर दवाब बनाकर दिसंबर माह में ही पीएम की गद्दी को बतौर उपहार सौंप दिया
जाए। और पूरे देश मे मोदी के खिलाफ बाबा को पीएम की तरह पेश करते हुए जनता से एक
मौका देने की मांग की जाए। ज्यादातर पंजू नेताओं को लग रहा है कि मौजूदा पीएम रहे
तो बाजी का हाथ से निकलना तय है, लिहाजा बाबा के नाम पर एक चांस लिया जा सकता है।
फिर मात्र चार पांच माह के पीएम को फूल टाईमर पीएम बनाने का अपील शायद काम कर जाए।
मोदी के खिलाफ मनमोहन को रास्ते से हटाने के लिए विस चुनाव कांग्रेस यह मानकर चल
रही है कि इलमें हार से ही बाबा को उपहार मिलेगा। और लगता है कि ईमानदारी के प्रतीक माने जाने
वाले अपने पीएम मनमोहन साहब भी वाकई समय की मौज और अपने विरोधियों की फौज के मूड
को पहचान गए है। तभी तो बिना कहे सरेंडर के बहाने अपने लिए भी जगह की गारंटी की
चाहत है।
मुंगेरी लाल के हवाई सपने
से होता है विकास......
एक गंवई कहावत है कि घर में नहीं
दाने और अम्मां चली मयखाने यही हसीन सपना
कांग्रेस के युवराज बाबा का सपना है कि भाषण देने से कुछ नहीं होता। सबकुछ होता है
तो केवल सपना देखने से। बाबा का कहना है कि एक मजदूर को भी यह सपना देखना चाहिए कि
बड़ा होकर उसका बेटा हवाई जहाज उडाये। वाह हवाई जहाज के बूते हवाई सपने या मुंगेरी
लाल बाबा के हसीन सपने को साकार करना है जिसके लिए मुंगेरी बाबा मे क्या गजब का
नफासत है कि एक ही साथ बाबा ने वोटरों को ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया। हम इस
सपने के लिए मुंगेरी बाबा को बधाई देने की बजाय इनके स्क्रिप्ट राईटर को ज्यादा
बधाई देना चाहूंगा। सही मायने में राईटर महोदय को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाना
चाहिए क्योंकि बाबा के हवाई स्क्रिप्ट से
नरेन्द्र मोदी को पंजे पर हमला करने का जो मौका दिया जाएगा उसका सामना तो फिलहाल
बाबा सोगा या ममोसि के पास नहीं है
लौट के घर
आए..........
भाजपा के शिखर नेता लाल जी के बारे में
कुछ कहने से पहले शोले मे गब्बर का एक डॉयलाग याद आया कि तेरा क्या होगा कालिया .
पहले तो लगा कि लाल जी का हाल भी कुछ कालिया वाला ही होने वाला है पर कमाल हो गया।
अपनी नाराजगी से नागपुर से लेकर सबको बेहाल कर देने वाले लाल जी ने अपना जबरदस्त विरोध
जताने के बाद इस तरह यू टरन लिया कि लोग देखते ही रह गए. लोगों को यह पचाना भारी
पडने लगा कि कल तक लाल पीले हो रहे लालदी इतने खुशहाल कैसे बन गए। इनके मुखारबिंद
से मोदी के तारीफों की बारिश होने लगी। सच में मौके की नजाकत को भांपकर लाल जी ने
पाला बदल लिया नहीं तो वाकई तेरा क्या होगा मेरे लाल की हालत भगवान जाने कैसा
होता।
दंगो में झुलसा
मौलाना की इमेज
मुस्लमान मतदाताओं से ज्यादा प्यार नेह
लगाव रखने वाले नेताजी को मौलाना की उपाधि मिली है। वे इससे ज्यादा खुश भी होते
है। मुजफ्फरनगर के दंगों में लखनउ से आए एक फोन ने कि जो हो रहा है होने दो ने
धमाल कर दिया। कोई आजम साहब के नाम से आए फोन के बाद मुख्य दंगाईयों को छोड़ दिया
गया और जब दंगा लीला पूरे शबाब के साथ समाप्त हुआ तो आजम साहब का ताव और नेताजी का
मुलायम चेहरा दिखा रहा है कि दंगों मे मारे गए लोगों से ज्यादा जरूरी है मौलाना की
इमेज को बनाये रखना. धन्य है अखिलेश राज में आजम छापनेताजी की समाजवादी राजनीति
जहां पर सबकुछ जायज है। लाशों की बिसात पर राजनीति करने वाले इन नेताओं को शत शत
नमन।
झाडू चलेगी मगर किसपर
????
अपने मियां मिठ्ठू बनने से कुछ भी हासिल
नहीं होता। खासकर एक हंगामे के बाद खुद को खुदा मानने की भूल में रहना ज्यादा
खतरनाक होता है। अन्ना हजारे का यूज कर
फेंक देने वाले और खुद को सब पर भारी साबित करने की ललक में केजरीवाल एंड टोली कुछ
ज्यादा ही मुगालते में है। चुनावी आंकलन में आप को कुछ सीटे मिल रही है , पर नयी
दिल्ली रेंज में तो आप का खाता भी नहीं खुल रहा है जहां से आप के बाप शीला को
ललकारेगे.। क्या परिणाम होगा यह तो बाद की बात है पर खुद को दिल्ली का बेस्ट सीएम
दिखाने और बताने की जुगाड़ में वे अभी से लग गए है । खुद को 41 फीसदी और शीला को
20 फीसदी अंक देकर बाप ने दिखा दिया कि झाडू तो चलेगी मगर ज्यादा आशंका है कि बाप
के हसीन सपनो पर ही झाडू चल जाएगी।
विनाश काले विपरीत
बुद्धि
बिहार के धीर गंभीर मुख्यमंत्री अब
ज्योतिषी भी बनते दिख रहे है। अपने कल को
छोड़कर वे दूसरे के कल को बड़ी आसानी से पलक झपकते ही झटपट बता देते है। जी हां नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार घोषित करते
ही हमारे कुमार साहब कैमरा के सामने प्रकट होते हुए टिप्पणी की, विनाश काले विपरीत बुद्धि । कुमार
की यह टिप्पणी खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे वाली है या जलन वाली कुछ समझ नहीं आ
रहा। मगर मोदी साहब का कल क्या होगा यह तो पूरा देश देखेगा , मगर विनाश काल में
बिना पतवार के एनडीए को तोड़ और छोड़ कर एकला चलो की राह पकड़ने से क्या हासिल कर लिए। 2015 विस चुनाव में अकेले
डूबना तो अभी से पक्का है। हालांकि कमल को भी कुछ नहीं मिलेगा पर जोड तोज में
माहिर चारा छाप लालू कुमार की फसल को चर जरूर जाएंगे।, इसका भय कुमार को अभी से
सता रहा है। पर कुमार साहब क्या करे विनाश काले......... ?..
शीला राज का प्याजी
प्यार
दिल्ली की राजनीति में प्याज का बड़ा ही
महत्व है। प्याज के बुखार से भाजपा सरकार
का चेहरा इस तरह बदरंग हुआ की आज 15 साल के बाद तक दिल्ली में इसके जले हुए चेहरे
पर प्याज की बू आती है। इस बार प्याज के बुखार से शीला सरकार का हाल बेहाल है, मगर
मामले को हल्का दिखाने के लिए शीला एंड कंपनी माहौल सामान्य जताने में लगी है। खासकर
फूड मंत्री राजकुमार चौहान और मुख्यमंत्री प्याज को सस्ते दर पर बेचने के लिए चारो
तरफ सरकारी दुकान लगाने का दावा ठोक रहे है, मगर सरकारी दुकान में ही प्याज 60 रूपये
किलो मिल रहा है। बेहाल मतदाताओं से शीला सरकार क्या इस चुनाव में प्याजी बुखार से
बच पाएंगी?
लगता है कि 15 साल के बाद इतिहास खुद को दोहरा रहा है।
लालू की है बोलती बंद
चारा कांड के फैसले के दिन ज्यों ज्यों
करीब आता दिख रहा है तो बिहार के सुकुमार लालू का चेहरा मलीन होता जा रहा है। मगर मोदी के
चलते लालू एक बार फिर से अग्नि उगलना चालू
कर दिया है। मोदी को बिहार प्रवेश पर रोक लगाने की पुरजोर वकालत कर रहे लालू मोदी
को आंतकवादी करार देने में लगे है। अपने मियां मिठ्ठू बनते हुए लालू यह जताने और बताने में लगे हैं कि किस तरह
आडवाणी के रथ को रोक कर देश हित में कितना बड़ा काम किया था। परम दुश्मन नीतिश
कुमार से लालू भी यही कुछ कराना चाह रहे है। मगर देखना यही है कि मोदी को आंतकवादी
कहकर लालू खुद अपने जनाधार को कितना संभाल पाते है ? `
बिहार में पुत्रो की
धमाल
बिहार में भले ही
विधानसभा चुनाव नही है, और लोकसभा चुनाव में भी आठ माह का अभी समय शेष है, इसके
बावजूद आजकल क्रिकेटर और हीरो बनते बनते रह गए लालू और पासवान पुत्र बिहार में
धमाल मचा रहे है। वातानुकूल गाड़ी में पूरे लाव लश्कर के साथ पिकनिक मनाते हुए
दोंनो पुत्र बिहार की धरती को धन्य करने में लगे है। अपने अपने पिताओं की तारीफ और
मौजूदा सीएम की निंदा करते हुए फिर से राज सौंपने की याचना करने में लगे है। एक
तरफ पूरे बिहार को एकजुट करने का हुंकार भर रहे लालू को अपने बड़े बेटे पर
नियंत्रण नहीं है जिससे आजकल वे उत्पात मचाने में जुटे है और गावस्कर बनते बनते रह
गए तेजस्वी अपनी तेज और चिराग पासवान बिहार में अपने लिए चिराग जलाने की कोशिश में
लगे है। अपने कैरियर में फेल रहे दोनों पुत्रों की नयी पारी के आगाज से बिहार
दुविधा में है कि इनकी पोलिटिकल पारी पर .कीन किस तरह करे
आशा के पीछे राम राम
परम आदरणीय संत बापू आशाराम आजकल दिक्कत
में है। एक कन्या के साथ यौनाचार जैसे आरोप से सुशोभित होकर महाराद की रोजाना जेल
में पोल जिसे कलई भी कह सकते है, खुल रही है.। जमीन कब्जाने से लेकर नाना प्रकार
के अशोभनीय आरोपो में फंसे आशा राम के पीछे राम भी बेइज्जती महसूस रहे हां पर राम भी
क्या करे आशा के साथ जीवन के बाद भी तक का साथ निभाने का नाता जो जोड रखा है.। आसा
को बचाने के लिए एक और राम प्रकट हुए है। मशहूर वकील राम जेठमलानी मगर अदालत ने
राम की दलीलों को राम तक भेज दिया। मैं भी आसा के ले ज्यादा चिंचित हूं नको इस उमर
में बुढापे में राम छोड़कर यदि चले गए तो इस आशा का क्या होगा मेरे राम। मगर मानना
पड़ेगा कि इस इमर में भी आशा का यौवन बरकरार है और हो भी क्यों ना जब चंद्रास्वामी
हाजमोले की गोली को सेक्स पावर टेबलेट के नाम पर बेचने में माहिर थे तो अपन आशा तो
बाकायदा बांह उठाकर पावर का दिखावा तक करते थे। इस आरोप के बाद तोवे अपने भक्तों
में और आदरणीय होकर निकलने वाले है बाबा।
. .
प्रेस क्लब- 18 / अनामी शरण बबल
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रागो vs नमो नमो
कांग्रेस के सिपहसालारों को ये क्या हो
गया कि भीषण आंतरिक कलह के बाद कमल वालों द्वारा जब नरेन्द्र मोदी को भावी
प्रधानमंत्री का प्रत्याशी घोषित करते ही कांग्रेसियों के सूर बदल गए। मोदी एंड
पाटी फेमिली पर हमला करते हुए पंजा पाटी के सीडी टाईप के नेताओं ने गौरव भाव से यह
कहना चालू कर दिया कि यह परंपरा हमारे यहां नहीं है। दरअसल लोकतंत्र में तो लड़ाई
विवाद संभव है पर फैमिली दादागिरी में तो केवल चाटूकारिता ही संभव है। पंजा के
अधेड़ बाबा को अभी तक पीएम बनने का मन नहीं हुआ है। अपने तमाम पाटी जनों की वंदना
याचना मान मनौव्वल के बाद भी बाबा पसीज नहीं रहे है। और खासकर नमो दामोदर के
हमलावर तरीके से सामने आने के बाद तो पंजू बाबा की हलक सूखने लगी है।
यही संभव लग रहा है
कांग्रेस के सबसे काबिल ईमानदार कुशल और
कभी कभार बोलने वाले यांत्रिक रोबोट से लगने वाले लोकप्रिय प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह का पूरा जादू उतार पर है। जैसा कि अंदाजा लगाया जा रहा है कि नवम्बर में होने
वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में नतीजा यदि पंजे के काबू से बाहर निकला तो
तो मनमोहन सिंह की विदाई तय लग रही है. पाटी के भीतर ही मुन्ना को लेकर भारी संतोष
के साथ उबाल चरम पर है। माना जा रहा है कि विस चुनाव खराब रहे तो युवा बाबा राहुल
गांधी पर दवाब बनाकर दिसंबर माह में ही पीएम की गद्दी को बतौर उपहार सौंप दिया
जाए। और पूरे देश मे मोदी के खिलाफ बाबा को पीएम की तरह पेश करते हुए जनता से एक
मौका देने की मांग की जाए। ज्यादातर पंजू नेताओं को लग रहा है कि मौजूदा पीएम रहे
तो बाजी का हाथ से निकलना तय है, लिहाजा बाबा के नाम पर एक चांस लिया जा सकता है।
फिर मात्र चार पांच माह के पीएम को फूल टाईमर पीएम बनाने का अपील शायद काम कर जाए।
मोदी के खिलाफ मनमोहन को रास्ते से हटाने के लिए विस चुनाव कांग्रेस यह मानकर चल
रही है कि इलमें हार से ही बाबा को उपहार मिलेगा। और लगता है कि ईमानदारी के प्रतीक माने जाने
वाले अपने पीएम मनमोहन साहब भी वाकई समय की मौज और अपने विरोधियों की फौज के मूड
को पहचान गए है। तभी तो बिना कहे सरेंडर के बहाने अपने लिए भी जगह की गारंटी की
चाहत है।
मुंगेरी लाल के हवाई सपने
से होता है विकास......
एक गंवई कहावत है कि घर में नहीं
दाने और अम्मां चली मयखाने यही हसीन सपना
कांग्रेस के युवराज बाबा का सपना है कि भाषण देने से कुछ नहीं होता। सबकुछ होता है
तो केवल सपना देखने से। बाबा का कहना है कि एक मजदूर को भी यह सपना देखना चाहिए कि
बड़ा होकर उसका बेटा हवाई जहाज उडाये। वाह हवाई जहाज के बूते हवाई सपने या मुंगेरी
लाल बाबा के हसीन सपने को साकार करना है जिसके लिए मुंगेरी बाबा मे क्या गजब का
नफासत है कि एक ही साथ बाबा ने वोटरों को ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया। हम इस
सपने के लिए मुंगेरी बाबा को बधाई देने की बजाय इनके स्क्रिप्ट राईटर को ज्यादा
बधाई देना चाहूंगा। सही मायने में राईटर महोदय को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाना
चाहिए क्योंकि बाबा के हवाई स्क्रिप्ट से
नरेन्द्र मोदी को पंजे पर हमला करने का जो मौका दिया जाएगा उसका सामना तो फिलहाल
बाबा सोगा या ममोसि के पास नहीं है
लौट के घर
आए..........
भाजपा के शिखर नेता लाल जी के बारे में
कुछ कहने से पहले शोले मे गब्बर का एक डॉयलाग याद आया कि तेरा क्या होगा कालिया .
पहले तो लगा कि लाल जी का हाल भी कुछ कालिया वाला ही होने वाला है पर कमाल हो गया।
अपनी नाराजगी से नागपुर से लेकर सबको बेहाल कर देने वाले लाल जी ने अपना जबरदस्त विरोध
जताने के बाद इस तरह यू टरन लिया कि लोग देखते ही रह गए. लोगों को यह पचाना भारी
पडने लगा कि कल तक लाल पीले हो रहे लालदी इतने खुशहाल कैसे बन गए। इनके मुखारबिंद
से मोदी के तारीफों की बारिश होने लगी। सच में मौके की नजाकत को भांपकर लाल जी ने
पाला बदल लिया नहीं तो वाकई तेरा क्या होगा मेरे लाल की हालत भगवान जाने कैसा
होता।
दंगो में झुलसा
मौलाना की इमेज
मुस्लमान मतदाताओं से ज्यादा प्यार नेह
लगाव रखने वाले नेताजी को मौलाना की उपाधि मिली है। वे इससे ज्यादा खुश भी होते
है। मुजफ्फरनगर के दंगों में लखनउ से आए एक फोन ने कि जो हो रहा है होने दो ने
धमाल कर दिया। कोई आजम साहब के नाम से आए फोन के बाद मुख्य दंगाईयों को छोड़ दिया
गया और जब दंगा लीला पूरे शबाब के साथ समाप्त हुआ तो आजम साहब का ताव और नेताजी का
मुलायम चेहरा दिखा रहा है कि दंगों मे मारे गए लोगों से ज्यादा जरूरी है मौलाना की
इमेज को बनाये रखना. धन्य है अखिलेश राज में आजम छापनेताजी की समाजवादी राजनीति
जहां पर सबकुछ जायज है। लाशों की बिसात पर राजनीति करने वाले इन नेताओं को शत शत
नमन।
झाडू चलेगी मगर किसपर
????
अपने मियां मिठ्ठू बनने से कुछ भी हासिल
नहीं होता। खासकर एक हंगामे के बाद खुद को खुदा मानने की भूल में रहना ज्यादा
खतरनाक होता है। अन्ना हजारे का यूज कर
फेंक देने वाले और खुद को सब पर भारी साबित करने की ललक में केजरीवाल एंड टोली कुछ
ज्यादा ही मुगालते में है। चुनावी आंकलन में आप को कुछ सीटे मिल रही है , पर नयी
दिल्ली रेंज में तो आप का खाता भी नहीं खुल रहा है जहां से आप के बाप शीला को
ललकारेगे.। क्या परिणाम होगा यह तो बाद की बात है पर खुद को दिल्ली का बेस्ट सीएम
दिखाने और बताने की जुगाड़ में वे अभी से लग गए है । खुद को 41 फीसदी और शीला को
20 फीसदी अंक देकर बाप ने दिखा दिया कि झाडू तो चलेगी मगर ज्यादा आशंका है कि बाप
के हसीन सपनो पर ही झाडू चल जाएगी।
विनाश काले विपरीत
बुद्धि
बिहार के धीर गंभीर मुख्यमंत्री अब
ज्योतिषी भी बनते दिख रहे है। अपने कल को
छोड़कर वे दूसरे के कल को बड़ी आसानी से पलक झपकते ही झटपट बता देते है। जी हां नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार घोषित करते
ही हमारे कुमार साहब कैमरा के सामने प्रकट होते हुए टिप्पणी की, विनाश काले विपरीत बुद्धि । कुमार
की यह टिप्पणी खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे वाली है या जलन वाली कुछ समझ नहीं आ
रहा। मगर मोदी साहब का कल क्या होगा यह तो पूरा देश देखेगा , मगर विनाश काल में
बिना पतवार के एनडीए को तोड़ और छोड़ कर एकला चलो की राह पकड़ने से क्या हासिल कर लिए। 2015 विस चुनाव में अकेले
डूबना तो अभी से पक्का है। हालांकि कमल को भी कुछ नहीं मिलेगा पर जोड तोज में
माहिर चारा छाप लालू कुमार की फसल को चर जरूर जाएंगे।, इसका भय कुमार को अभी से
सता रहा है। पर कुमार साहब क्या करे विनाश काले......... ?..
शीला राज का प्याजी
प्यार
दिल्ली की राजनीति में प्याज का बड़ा ही
महत्व है। प्याज के बुखार से भाजपा सरकार
का चेहरा इस तरह बदरंग हुआ की आज 15 साल के बाद तक दिल्ली में इसके जले हुए चेहरे
पर प्याज की बू आती है। इस बार प्याज के बुखार से शीला सरकार का हाल बेहाल है, मगर
मामले को हल्का दिखाने के लिए शीला एंड कंपनी माहौल सामान्य जताने में लगी है। खासकर
फूड मंत्री राजकुमार चौहान और मुख्यमंत्री प्याज को सस्ते दर पर बेचने के लिए चारो
तरफ सरकारी दुकान लगाने का दावा ठोक रहे है, मगर सरकारी दुकान में ही प्याज 60 रूपये
किलो मिल रहा है। बेहाल मतदाताओं से शीला सरकार क्या इस चुनाव में प्याजी बुखार से
बच पाएंगी?
लगता है कि 15 साल के बाद इतिहास खुद को दोहरा रहा है।
लालू की है बोलती बंद
चारा कांड के फैसले के दिन ज्यों ज्यों
करीब आता दिख रहा है तो बिहार के सुकुमार लालू का चेहरा मलीन होता जा रहा है। मगर मोदी के
चलते लालू एक बार फिर से अग्नि उगलना चालू
कर दिया है। मोदी को बिहार प्रवेश पर रोक लगाने की पुरजोर वकालत कर रहे लालू मोदी
को आंतकवादी करार देने में लगे है। अपने मियां मिठ्ठू बनते हुए लालू यह जताने और बताने में लगे हैं कि किस तरह
आडवाणी के रथ को रोक कर देश हित में कितना बड़ा काम किया था। परम दुश्मन नीतिश
कुमार से लालू भी यही कुछ कराना चाह रहे है। मगर देखना यही है कि मोदी को आंतकवादी
कहकर लालू खुद अपने जनाधार को कितना संभाल पाते है ? `
बिहार में पुत्रो की
धमाल
बिहार में भले ही
विधानसभा चुनाव नही है, और लोकसभा चुनाव में भी आठ माह का अभी समय शेष है, इसके
बावजूद आजकल क्रिकेटर और हीरो बनते बनते रह गए लालू और पासवान पुत्र बिहार में
धमाल मचा रहे है। वातानुकूल गाड़ी में पूरे लाव लश्कर के साथ पिकनिक मनाते हुए
दोंनो पुत्र बिहार की धरती को धन्य करने में लगे है। अपने अपने पिताओं की तारीफ और
मौजूदा सीएम की निंदा करते हुए फिर से राज सौंपने की याचना करने में लगे है। एक
तरफ पूरे बिहार को एकजुट करने का हुंकार भर रहे लालू को अपने बड़े बेटे पर
नियंत्रण नहीं है जिससे आजकल वे उत्पात मचाने में जुटे है और गावस्कर बनते बनते रह
गए तेजस्वी अपनी तेज और चिराग पासवान बिहार में अपने लिए चिराग जलाने की कोशिश में
लगे है। अपने कैरियर में फेल रहे दोनों पुत्रों की नयी पारी के आगाज से बिहार
दुविधा में है कि इनकी पोलिटिकल पारी पर .कीन किस तरह करे
आशा के पीछे राम राम
परम आदरणीय संत बापू आशाराम आजकल दिक्कत
में है। एक कन्या के साथ यौनाचार जैसे आरोप से सुशोभित होकर महाराद की रोजाना जेल
में पोल जिसे कलई भी कह सकते है, खुल रही है.। जमीन कब्जाने से लेकर नाना प्रकार
के अशोभनीय आरोपो में फंसे आशा राम के पीछे राम भी बेइज्जती महसूस रहे हां पर राम भी
क्या करे आशा के साथ जीवन के बाद भी तक का साथ निभाने का नाता जो जोड रखा है.। आसा
को बचाने के लिए एक और राम प्रकट हुए है। मशहूर वकील राम जेठमलानी मगर अदालत ने
राम की दलीलों को राम तक भेज दिया। मैं भी आसा के ले ज्यादा चिंचित हूं नको इस उमर
में बुढापे में राम छोड़कर यदि चले गए तो इस आशा का क्या होगा मेरे राम। मगर मानना
पड़ेगा कि इस इमर में भी आशा का यौवन बरकरार है और हो भी क्यों ना जब चंद्रास्वामी
हाजमोले की गोली को सेक्स पावर टेबलेट के नाम पर बेचने में माहिर थे तो अपन आशा तो
बाकायदा बांह उठाकर पावर का दिखावा तक करते थे। इस आरोप के बाद तोवे अपने भक्तों
में और आदरणीय होकर निकलने वाले है बाबा।
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