पत्रकारिता (मीडिया) का प्रभाव समाज पर लगातार बढ़ रहा है। इसके बावजूद यह पेशा अब संकटों से घिरकर लगातार असुरक्षित हो गया है। मीडिया की चमक दमक से मुग्ध होकर लड़के लड़कियों की फौज इसमें आने के लिए आतुर है। बिना किसी तैयारी के ज्यादातर नवांकुर पत्रकार अपने आर्थिक भविष्य का मूल्याकंन नहीं कर पाते। पत्रकार दोस्तों को मेरा ब्लॉग एक मार्गदर्शक या गाईड की तरह सही रास्ता बता और दिखा सके। ब्लॉग को लेकर मेरी यही धारणा और कोशिश है कि तमाम पत्रकार मित्रों और नवांकुरों को यह ब्लॉग काम का अपना सा उपयोगी लगे।
शुक्रवार, 6 जनवरी 2017
धोनी ने क्यों छोड़ी कप्तानी?
वर्ल्ड कप के बाद दूसरा सबसे अहम टूर्नामेंट आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफ़ी महज़ पांच महीने और वर्ल्ड कप अभी तीन साल दूर है. धोनी का पहला प्यार क्रिकेट नहीं, फ़ुटबॉल था कप्तान धोनी के वो 10 बेमिसाल फ़ैसले कोहली की कप्तानी में किस नंबर पर धोनी? ऐसा
नहीं कि धोनी के कप्तानी छोड़ने के फ़ैसले का अनुमान या उम्मीद नहीं थी,
लेकिन इस फ़ैसले का वक़्त ज़रूर चौंकाता है. इसकी क्या प्रमुख वजह हो सकती
हैं, ग़ौर कीजिए. कप्तान कोहली का खेल पिछले दो साल से टेस्ट कप्तानी संभाल रहे विराट कोहली
ने इस आशंका को अपने बल्ले से ख़त्म कर दिया है कि कैप्टेंसी का भार
व्यक्तिगत प्रदर्शन पर असर डालता है. कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ने
अब तक 22 मुक़ाबले खेले हैं, जिनमें से 14 में जीत दर्ज की. उनकी
कप्तानी में जीत का प्रतिशत 63.63 फ़ीसदी है, जो टेस्ट में 27 जीत दिलाकर
सबसे ऊपर मौजूद महेंद्र सिंह धोनी (जीत का प्रतिशत 45 फ़ीसदी ) से भी बेहतर
है. कप्तान बनने के बाद उन्होंने 22 टेस्ट में 63.96 की औसत से 2111 रन
बनाए, जिसमें आठ शतक शामिल हैं. बल्ले में अब वो बात नहीं दुनिया
धोनी की कप्तानी की कायल रही है. लेकिन सिर्फ़ कप्तानी से काम नहीं चलने
वाला. हेलिकॉप्टर शॉट से मशहूर हुए धोनी के बल्ले में वो पुरानी चमक बीते
लंबे वक़्त से नहीं दिखी. फ़िनिशिंग का जलवा भी नदारद रहा. वनडे की
बात करें तो साल 2012 से 2016 के बीच हर साल उनका औसत ख़ूब गिरा. साल 2012
में औसत 65.50 पर था, जो साल दर साल लुढ़कते हुए साल 2016 में महज़ 27.80
पर आ गया. दूसरी ओर विराट कोहली वनडे क्रिकेट में भी झंडे गाढ़ रहे हैं.
साल 2016 में कोहली ने 10 मैच खेले, जिनमें 92.37 की औसत से 739 रन बनाए. टी20
में धोनी साल 2016 में 21 मैचों में 47.60 के औसत से 238 रन बना पाए, जबकि
इस साल कोहली क्रिकेट के सबसे छोटे फ़ॉर्मेट में भी शानदार साबित हूए.
उन्होंने इस साल खेले 15 मैचों में 106.83 के एवरेज से 641 रन बनाए. टीम का झुकाव कहां दो शख़्स और दो पूरी तरह अलग शख़्सियत. धोनी जहां
कैप्टन कूल के नाम से मशहूर हुए, वहीं आक्रामकता कोहली की पहचान बनी. कोहली
की वजह से भारतीय टेस्ट टीम में जो आक्रामकता दिखी, उसे अब वनडे टीम से
ज़्यादा दिनों तक दूर रखना मुमकिन नहीं रह गया था. नतीजतन, धोनी का ये
फ़ैसला. जाने-माने क्रिकेट कमेंट्रेटर हर्षा भोगले ने भी लिखा है,
''ज़ाहिर है, धोनी को लगा कि अब वक़्त आ चुका है...धोनी की तरह सोचने की
कोशिश करें तो लगता है कि कोहली 2019 वर्ल्ड कप में कप्तान होंगे, ऐसे में
चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भी वही कप्तान होने चाहिए, इसलिए उन्हें अभी से ये
ज़िम्मा देना सही है.'' तीन फ़ॉर्मेट, एक कप्तान Image copyrightGetty Imagesअगर टेस्ट टीम की कप्तानी संभालने के बाद विराट कोहली
नाकाम साबित होते, तो उन पर दबाव बढ़ता और धोनी के दोबारा कमान संभालने की
मांग उठ सकती थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कोहली की कप्तानी और बल्ला,
दोनों कामयाब रहे और टीम इंडिया को टेस्ट में ख़ासी कामयाबी मिली. साल 2016
में कोहली की कमान में टीम ने एक मैच नहीं हारा. हाल में कोच बने अनिल
कुंबले के साथ भी कोहली की अच्छी पट रही है, ऐसे में 2019 वर्ल्ड कप के
लिहाज़ से कोहली को हर फ़ॉर्मेट में कप्तानी सौंपने का दबाव बढ़ता जा रहा
था. दूसरी कई टीमों में अलग-अलग फ़ॉर्मेट में अलग कप्तान की रवायत
रही है, लेकिन भारत में ऐसा कम ही हुआ है, ऐसे में टेस्ट के बाद वनडे और
टी20 की कमान कोहली के पास जाने में ज़्यादा देर नहीं थी. श्रीनिवासन का जाना
Image copyrightPTIहाल में कोर्ट का डंडा चला तो क्रिकेट बोर्ड से अनुराग
ठाकुर की रवानगी हो गई. लेकिन उनसे पहले आईसीसी और बीसीसीआई समेत क्रिकेट
के गलियारों में ऊंचा क़द रखने वाले एन श्रीनिवासन की चला करती थी. वो
इंडिया सीमेंट्स के मालिक थे और उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी
धोनी के हाथों में थी. लेकिन आरोपों में फ़ंसे श्रीनिवासन को जाना
पड़ा और आईपीएल की उनकी टीम भी ख़त्म हो गई. ज़ाहिर है, रंग-बिरंगे क्रिकेट
में धोनी का पुराना जलवा भी जाता रहा. बोर्ड से लेकर कोचिंग स्टाफ़ तक, हर
जगह अब नए लोग दिख रहे हैं और कोहली का मौजू़दा जलवा दिखा रहा है कि उन
सभी की पसंद धोनी नहीं, कोहली हैं. वक़्त भी गजब है. बदलता है, तो हीरो को भी बदल जाता है. और फ़िलहाल हीरो कोहली हैं. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें