प्रस्तुति-- स्वामी शरण, आलोक सिंह
पैसे खर्च कर किसी वस्तु या
विचार की पब्लिसीटी करना विज्ञापन अभियान कहा जाता है। आमतौर पर हम व्यापारिक या
सामाजिक सुधार वाले विज्ञापन क्रम दर क्रम देखने को मिलते हैं, यह उस रणनीति का हिस्सा होता है जो हम एक निश्चित उददेश्य
के लिए सुधारों के साथ प्रस्तुत करते हैं। किसी भी विज्ञापन अभियान के सफल होने
में मुख्य कारक ये होते है जो उसकी टारगेट और टारगेट आॅडियंस तक पहुंचने में
महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं।
1. पलानिंग यानि रणनीतिः इसमें बजट, टारगेट, टारगेट आॅडियंश, मार्केटिंग एरिया आदि का निर्धारण करते हैं।
2. सिलेक्सन आॅफ मीडिया अर्थात माध्यम का चुनावः
हमें अपना विज्ञापन किस माध्यम के जरिए लोगों के बीच प्रस्तुत करें कि वह ज्यादा
से ज्यादा लोगों तक पहुंचें और ज्यादा से ज्यादा प्रभावी भी हो। मसलन अगर हमारा
विज्ञापन पढे लिखे लोगों के लिए है तो हम टारगेट आॅडियंश के हिसाब से किसी ऐसे
माध्यम जैसे टीवी, समाचार पत्र, इंटरनेट आदि जैसे माध्यम अपनाने की सोचेगे, इसी तरह कम पढे लिखे लोगों के लिए रेडियों या टीवी जिसमें
चित्रों के माध्यम से ज्यादा बताने की कोशिश की गई हो उसका चुनाव करेंगे।
3. इंपरोवमेंट यानि सुधारः इस प्रक्रिया में हम
अपने विज्ञापन के सुधार पर जोर देंगे। यानि हमारा विज्ञापन कितने दिन और कितने समय
और चलाया जाया या न चलाया जाया। अगर हम टारगेट आडियंश तक नहीं पहुंच पा रहे है तो
क्या बदलाव या सुधार किया जाए कि हमें अपना टारगेट हासिल हो सके। माध्यम बदलना है
या विज्ञापन में कुछ नया एड करना है आदि ऐसे कार्य विज्ञापन अभियान में इस चरण में
पूरा किया जाता है।
4. फीडबैक यानि प्रतिपुष्टिः फीडबेक किसी भी
विज्ञापन अभियान का वह अंग है जिससे यह पता लगाया जाता है कि हमारा विज्ञापन कितना
प्रभावी रहा है। हम कितने लोगों तक पहुंच पाएं है, क्या हमने जिस माध्यम का चुनाव किया था वो सही था या गलत। हम टारगेट आॅडियंश
तक पहुंच पाए या नहीं। एक तरह से हम कह सकते है कि यह अभियान की वह कडी है जिसमें
हमें एक तो भविष्य की राह निकल कर सामने मिलती है दूसरी हमारे द्वारा की गई मेहनत
या कार्य का ग्राफ दिखाकर हमें आइना दिखाता है कि आप इसमें कितने सफल असफल हुए है।
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