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- 'कवि वचन सुधा' के प्रकाशन से पूर्व हिन्दी में छपने वाले पत्रों की संख्या पर्याप्त हो चुकी थी, लेकिन पाठकों के अभाव और अर्थाभाव की परेशानियों के कारण कई पत्र शीघ्र ही समाप्त हो गये।
- 1867 में 'कवि वचन सुधा' का प्रकाशन हुआ। भारतेन्दु हरिशचंद्र के संपादन में प्रकाशित इस पत्र ने हिन्दी साहित्य व पत्रकारिता को नए आयाम दिए।
- डॉ. रामविलास शर्मा लिखते हैं- "कवि वचन सुधा का प्रकाशन करके भारतेन्दु ने एक नए युग का सूत्रपात किया।"
- 1867 में ‘कवि वचन सुधा’ के अलावा ‘वृतान्त विलास’, जम्मू से; ‘सर्वजनोपकारक’, आगरा से; 'रतन प्रकाश', रतलाम से और 'विद्याविलास', जम्मू से, का प्रकाशन हुआ।
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