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आज तीन जनवरी का दिन बेहद
महत्वपूर्ण है. वर्ष 1980 में आज ही के दिन अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति
बाबरक कर्माल ने सोवियत हमले को सही ठहराया था. वर्ष 1993 में अमरीका और
रूस ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या को आधा करने पर सहमति जताई थी.
1980: अफ़ग़ान नेता ने सोवियत हमले का बचाव किया.
अफ़गानिस्तान युद्ध 1989 तक चला.
वर्ष 1945 के बाद पूर्वी ब्लॉक के बाहर ये पहला सोवियत सैन्य हमला था.
इस हमले के बाद अमरीका और सोवियत संघ के बीच शांति और बातचीत के माहौल में रुकावट आगई थी. अमरीका ने ख़ुद को हथियारबद्ध करना शुरू किया.
सोवियत संघ पर कार्रवाई करने का आंतरिक और बाहरी दबाव था. सोवियत कार्रवाई को अमरीका और संयुक्त राष्ट्र संघ के 12 दूसरे सदस्यों ने हमला बताया.
सिर्फ़ पूर्वी जर्मनी और अफ़ग़ानिस्तान ने सोवियत संघ का साथ दिया. शीत युद्ध में अफ़ग़ानिस्तान एक महत्वूर्ण युद्धक्षेत्र बन गया था. दोनो महाशक्तियों ने अफ़ग़ानिस्तान में हथियारों की भरमार कर दी.
अफ़ग़ानिस्तान युद्ध 1989 तक चला और एक करोड़ तीस लाख की जनसंख्या वाले इस देश में दस लाख लोग मारे गए. साथ ही क़रीब 50 लाख शरणार्थी बनने पर मजबूर हुए.
1993: अमरीका और रूसी गणतंत्र में परमाणु हथियारों को आधा करने पर सहमति
स्टार्ट संधि का मक़सद परमाणु हथियारों को कम करना था.
वर्ष 2001 में दोनो देशों ने स्टार्ट 1 संधि की शर्तों को पूरा किया था.
वर्ष 1996 में अमेरिकी कांग्रेस ने स्टार्ट 2 संधि को पास किया था. इन संधियों का मक़सद परमाणु हथियारों की संख्या को घटाना था.
इस संधि के अंतर्गत यूक्रेन और कज़ाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों को रूस को दे दिया था.
वर्ष 1997 में अमरीका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन को इस संधि की सीमारेखा को 2007 तक आगे बढ़ाना पड़ा.
वर्ष 2000 में रूस की संसद आखिरकार स्टार्ट 2 पर सहमत हो गई लेकिन स्टार्ट 3 को त्यागने का निर्णय किया गया.
वर्ष 2002 में अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुटिन ने स्ट्रैटजिक ऑफ़ेंसिव रिडक्शंस ट्रीटी पर हस्ताक्षर किए. इसे मॉस्को समझौता के नाम से भी जाना जाता है.
इस संधि का लक्ष्य है कि वर्ष 2012 तक परमाणु हथियारों की संख्या को 7,000 से घटाकर 2,200 कर दिया जाए.
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