- Category: आवाजाही, कानाफूसी, सुख-दुख, इंटरव्यू...
- Created on Saturday, 29 December 2012 19:48
- Written by B4M
ताजी कोशिश ये है कि अखबार व टीवी दोनों का संचालन नोएडा से हो और एनसीआर में भी अखबार निकाला जाए. सूत्रों के मुताबिक श्री मीडिया समूह जिस तरह की पत्रकारिता पर भरोसा करता है, और मीडिया में उतरने का उनका जो अंतिम मकसद है, वह पवित्र नहीं है. इस ग्रुप में पत्रकारों को रीयल स्टेट के कामधाम और ग्रुप के अन्य कार्यों को निपटाने में तो लगाया ही जाता है, उन्हें बड़े लोगों से अच्छे संबंध बना कर रखने को भी कहा जाता है. यही कारण है कि चैनल व अखबार पीआर एक्सरसाइज के माध्यम बनकर रह गए हैं. इनकी धमक मीडिया जगत में सुनाई नहीं पड़ी.
सूत्रों का कहना है कि अजय उपाध्याय इस ग्रुप के साथ जुड़कर खुद की साख खत्म कर लेंगे क्योंकि यहां पत्रकारिता का नहीं, पीआर का माहौल है. उधर, श्री मीडिया समूह के लोगों का कहना है कि अजय उपाध्याय को लाकर प्रबंधन ने मीडिया क्षेत्र में अपनी गंभीरता दिखाने की कोशिश की है. अजय उपाध्याय को फ्री हैंड दिया जाएगा ताकि वे श्री मीडिया समूह को मीडिया क्षेत्र में स्थापित कर सकें. वे अपनी जरूरत के हिसाब से टीवी, अखबार, पोर्टल में फेरबदल करेंगे और इन्हें री-लांच करेंगे. अजय उपाध्याय के आने से अशोक सिंह की स्थिति खराब हुई है. पहले वे श्री समूह के अखबार के प्रधान संपादक थे. अब डिमोट करके सिर्फ संपादक बना दिए गए हैं. प्रधान संपादक के रूप में अजय उपाध्याय का नाम अखबार में जाएगा.
अजीब बात ये है कि एक तरफ प्रबंधन के लोग अजय उपाध्याय को फ्री हैंड देने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पांच लोगों को सीओओ बनाकर उनकी तगड़ी घेराबंदी को रख दिया है. अखबार, टीवी व पोर्टल से पांच लोगों को सीओओ की जिम्मेदारी सौपीं गयी है. प्रिन्ट से पंकज वर्मा, चैनल से आलोक अवस्थी, प्रशांत द्विवेदी व एलविना कासिम और पोर्टल से अभय केसरवानी को सीओओ बनाया गया है. अब यह समझ से परे है कि ये पांच लोग सीओओ के रूप में कौन सी कसरत करेंगे. ये पांच सीओओ आंतरिक अराजकता बढ़ाने का ही काम करेंगे क्योंकि इससे पावर सेंटर ज्यादा हो जाएंगे और आंतरिक राजनीति भी खूब होगी. देखना है कि श्री मीडिया की नैया पार लग पाती है या नहीं. (कानाफूसी)
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