राकेश रंजन कुमार
आधी दुनिया से संदर्भित सूचना, शिक्षा एवं मनोरंजन की प्रस्तुति महिला
पत्रकारिता है जो आबालवृद्ध के लिए आकर्षण का केंद्रीय तत्व है। महिलाएं
पत्रकारिता में मानवीय पक्ष को प्रस्तुत करती हैं। जयशंकर प्रसाद के
अनुसार, ‘’नारी की करुणा अंतर्जगत् का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त
सदाचार ठहरे हुए हैं।‘’ पूरी समस्या को सदाशयतावश नये नज़रिए से देखती हैं।
आधी दुनिया अख़बार को ताज़गी और दृष्टि देती है।
आज वह कौन-सा क्षेत्र है जहाँ नारी कार्यरत नहीं है।
आकाश की ऊँचाइयों में प्रगति के पर फैला नारी आश्चर्यजनक उड़ान भरने लगी
है। हमें उस पर गर्व है, पर प्रगति का अर्थ अपनी परंपरा, मर्यादा तथा
संस्कृति को भूलना नहीं है। आधुनिकता की शर्मनाक आँधी से अपने को बचा कर
रखना भारतीय महिला का पहला कर्तव्य है। काश, यह बात समझ में आ जाती तो खोती
हुई लज्जा और भारतीय संस्कृति का बिगड़ता रूप हमारे सामने न आ पाता।
सदियों से लज्जा और नारी का अटूट संबंध रहा है, यहाँ
तक कि लाज को स्त्री का आभूषण कहा गया है। भारतीय नारी शब्द से एक सुंदर-सी
कंचन काया की साम्राज्ञी लजाती-सकुचाती-सी एक संपूर्ण स्त्री की छवि आँखों
के समक्ष उभर कर आ जाती है, जिसके हर भाव में मोहकता है, मादकता नहीं,
आकर्षण है, अंगड़ाई नहीं। जिस्म के उतार-चढ़ाव को आप आँचल के तले महसूस कर
सकते हैं उसके लिए प्रदर्शन की कोई आवश्यकता नहीं। अदब का जामा लिए अपने
मोहक हाव-भाव और तीखे नयन-नक्श से सौन्दर्यप्रेमी को प्रभावित करने वाली
भारतीय नारी सिर से लेकर पैर तक लज्जा से सराबोर रही है। पर, अब समय ने
करवट बदल ली है, ऐसा लगने लगा है कि लज्जा और नारी का, भारतीय संस्कृति से
जो अटूट संबंध था, वह टूट कर बिखरता जा रहा है।
कुछ समाज के एक हिस्से में अभी भी लज्जा की एक
सीमा-रेखा है, स्त्रियाँ अभी भी लज्जा की देवी मानी जाती हैं, घर और घर के
बाहर भी उनका सम्मान करने वाला पुरुष वर्ग है, पर अधिकांश समूह ऐसा है जो
लाज को पिछड़ेपन की संज्ञा देकर आधुनिकता की निर्लज्ज फ़िज़ा में साँस लेकर
अपने को अत्यधिक चतुर, मॉडर्न और सुशिक्षित समझने लगा है।
जनसंचार साधनों ने भारतीय नारियों को मुखर बनाया है। जेम्स स्टीफेन की वाणी को पत्रकारों ने सार्थकता प्रदान की है –
‘’औरतें मर्दों से अधिक बुद्धिमती होती हैं, क्योंकि वे जानती कम, समझती अधिक हैं।‘’
वस्तुतः सभी महान् कार्यों के प्रारंभ में औरतों का हाथ रहा है –
There is a woman at the beginning of all great things. - Law Martina
औरत मर्द की सबसे बड़ी ताक़त है। मर्द की ज़िंदगी अधूरी है, औरत उसे
पूर्ण करती है। मर्द की ज़िदगी अंधेरी है, औरत उसे रोशनी देती है, मर्द की
ज़िंदगी फीकी है, औरत उनमें रौनक लाती है। औरत न हो तो मर्द की दुनिया
वीरान हो जाए और आदमी अपना गला घोंटकर मर जाय।
आचार्य शंकर ने देवियों का महत्त्व प्रतिपादित किया है-
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं ।
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ।।
इसीलिए संचार-साधनों ने नारी-जाति में जागरुकता पैदा की है। दहेज-बलि,
पति-प्रताड़ना, पत्नी-त्याग के समाचारों के प्रकाशन से मानव-समाज के
अर्द्धांग को गौरवान्वित करना पत्रकारों का ही कार्य है। पत्रों ने समाज
में एक नई दृष्टि दी है कि आज भी हम महिलाओं को महराजिन, महरी, आया, धोबन,
नर्स के रूप में ही देखते हैं।
हम पत्रकारों के लिए विचारणीय बिंदु यह है कि हम लोगों
ने ही नारी को एक रंगीन बल्ब बना दिया है। सर्वत्र स्त्रियाँ सामिष भोजन
की तरह परोसी जा रही हैं। नारी दुर्व्यवहार का समाचार करुणा और सदाशयता के
स्थान पर सनसनीख़ेज़ हो रहा है। चिंता की जगह चटपटापन पैदा कर हम लुत्फ़
उठा रहे हैं। अब नारियों को मुखरित होना पड़ेगा।
आजकल नारी-जगत् से संबंधित पत्र-पत्रिकाएँ समय काटने
और मनोरंजन के साधनस्वरूप हैं। ऐसी पत्रिकाएँ साज-श्रृंगार, फ़ैशन, रूप-रंग
को कैसे निखारें, घर को कैसे सजाएँ, पति को सुंदर कैसे दिखें आदि पर ही
ज़ोर देती हैं। वस्तुतः स्त्रियों में सौन्दर्यानुभूति अधिक होती है। वे
सुरुचिपसंद और सलीकापसंद होती हैं। सजने-सँवरने में रुचि रखती हैं। इन
प्रश्नों के अतिरिक्त विज्ञान, खेल, राजनीति, साहित्य विषयों में भी
महिलाओं की भागीदारी होती है जिसके संदर्भ में पत्र-पत्रिकाओं को प्रकाश
डालना चाहिए।
कुछ पत्रिकाएँ नारियों की अपरिष्कृत और सतही रुचियों
को बढ़ावा देती हैं। बाल-विवाह, पर्दा-प्रथा, दहेज़-प्रथा एवं अनेक सामाजिक
कुरीतियों के उन्मूलन में हिंदी के पत्र प्रभावकारी भूमिका का निर्वहन कर
रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को कुटीर उद्योग एवं हस्तकला से
कैसे संबद्ध किया जाय, इस प्रश्न को पत्रिकाएँ सुलझा रही हैं।
हिंदी पत्र-पत्रिकाएँ जनता को सही दिशा-निर्देश और
नूतन प्रेरणा देने में सक्षम हैं। महिलाओं की मानसिकता परिमार्जित करने में
महिलोपयोगी प्रकाशन महत्त्वपूर्ण हैं। इनसे सजने-सँवरने के अतिरिक्त
चतुर्दिक जागरण का शुभ संदेश प्राप्त होता है। आजकल की कुछ हिंदी पत्रिकाओं
के अनुसार नारी का अर्थ माँ नहीं, वात्सल्य नहीं, सहचरी नहीं, अपितु सेक्स
का धमाका है। छोटे-बड़े स्थानों में स्थित सभी बुक स्टॉल नारी की कामुक
मुद्रा से सजे हैं। काले-पीले कारोबार पर समाज का अंकुश नहीं है।
नयी पीढ़ी की सोच में यह बात डालनी होगी कि उन्मुक्त सेक्स बिना
किनारे वाली बरसाती नदी है जो कुछ घंटों की मूसलाधार बारिस में सब-कुछ बहा
ले जाती है। ज़िंदगी का आनंद तो अनुशासन के बाँध के नियमित प्रवाह में है
जिससे दुनिया सुख-शांति से परिपूर्ण हो जाती है।
यद्यपि पिछले 25 वर्षों में महिला पत्रकारों की संख्या
बढ़ी है, किंतु रिपोर्टिंग में अभी भी दो फ़ीसदी महिला पत्रकार नहीं हैं।
तमाम गंभीर विषयों को उठाने, मौक़ा मिलने पर ख़ुद को सिद्ध करने के बावजूद
उन्हें बेहतर अवसर नहीं दिए जाते। उनकी क्षमता को संदेह की नज़रों से देखा
जाता है। यही वजह है कि उन पदों पर महिलाएँ नहीं है, जहाँ निर्णय लिए जाते
हैं एवं नियम बनते हैं। विभागों की प्रमुख भी महिला नहीं हैं। महिला और
सौंदर्य-स्वास्थ्य पत्रिकाओं को छोड़ दे तो एक-दो समाचारपत्रों को छोड़कर
महिलाएँ संपादक नहीं हैं। महिला पत्रकारों को तीन स्तरों पर जूझना पड़ता
है। एक व्यक्ति के रूप में, एक नारी के रूप में फिर एक पत्रकार के रूप में।
तीनों भूमिकाओं में समन्वय पर ही वह सामाजिक भूमिका निभा सकती है। हालाँकि
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह की मीडिया में स्त्री-विमर्श के लिए जगह
नहीं है। स्त्री-विषयक संपादकीय भी लिखे जाते हैं। सप्ताह में कम-से-कम एक
बार महिला पृष्ठ या परिशिष्ट दिए जाते हैं, पर यह माना जाता है कि महिला
मुद्दों पर ही महिला लिख सकती है। इन मुद्दों में भी घर-परिवार, शादी,
सौंदर्य जैसे विषय ही रखे जाते हैं। दहेज-हत्या, बाल-वेश्याएँ, कार्यस्थल
पर यौन प्रताड़ना, घरेलू–हिंसा जैसे कई मुद्दे या तो उठाये ही नहीं जाते और
यदि छपते भी हैं तो संक्षेप में। वहीं चाय पीते या हाथ मिलाते नेताओं के
समाचार तस्वीरों सहित डबल कॉलम में स्थान पाते हैं। आधुनिक मीडिया में
बोल्ड एंड ब्यूटीफुल के लिए तो जगह है, किंतु कर्मठ एवं जुझारू महिला के
लिए नहीं।
छात्र
पत्रकारिता एवं जनसंचार ( फ़र्स्ट सेमेस्टर )
Short URL: http://www.wisdomblow.com/hi/?p=289पत्रकारिता एवं जनसंचार ( फ़र्स्ट सेमेस्टर )
Indian Aunty Ass Photo - Nude Mallu Aunty Bigg Ass Photo
जवाब देंहटाएंBusty Pakistani Aunty Force Hard Fucked By Five Young Boys
Naked Indian Girls Sucking Big Dick, Indian Girls Fucked Her Ass Point.
Hairy Pussy Indian Mother, Indian Girls Hairy Chut Photos
Very Big Boobs Aunty Sucking Black Penis And Fucking Her Mouth
Desi Mother Force Fucked By Her Young Boy, Moms Fuck By Boy.