भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
पत्रकारिता का इतिहास
विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं)। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे। ये पट्टियां रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं मिलती थीं। मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों में ‘सूचना-पत्र‘ निकलने लगे। उन में कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे। लेकिन ये सारे ‘सूचना-पत्र ‘ हाथ से ही लिखे जाते थे। 15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गुटिनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया। असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया। इस के फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अख़बारों का भी प्रकाशन संभव हो गया।[1]भारत में हिंदी पत्रकारिता
वास्तव में हिंदी पत्रकारिता का तार्किक और वैज्ञानिक आधार पर काल विभाजन करना कुछ कठिन कार्य है। सर्वप्रथम राधाकृष्ण दास ने ऐसा प्रारंभिक प्रयास किया था। उसके बाद ‘विशाल भारत’ के नवंबर 1930 के अंक में विष्णुदत्त शुक्ल ने इस प्रश्न पर विचार किया, किन्तु वे किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचे। गुप्त निबंधावली में बालमुकुंद गुप्त ने यह विभाजन इस प्रकार किया –- प्रथम चरण – सन् 1845 से 1877
- द्वितीय चरण – सन् 1877 से 1890
- तृतीय चरण – सन् 1890 से बाद तक
- आरंभिक युग 1826 से 1867
- उत्थान एवं अभिवृद्धि
- प्रथम चरण (1867-1883) भाषा एवं स्वरूप के समेकन का युग
- द्वितीय चरण (1883-1900) प्रेस के प्रचार का युग
- विकास युग
- प्रथम युग (1900-1921) आवधिक पत्रों का युग
- द्वितीय युग (1921-1935) दैनिक प्रचार का युग
- सामयिक पत्रकारिता – 1935-1945
हिन्दी समाचार पत्र-पत्रिकाएँ
इस समय हिन्दी के साप्ताहिक पत्रों में साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्म-युग, दिनमान, रविवार एवं सहारा समय प्रमुख हैं। हिन्दुस्तान का सम्पादन, सम्पादिका मृणाल पाण्डेय जी ने किया एवं धर्मयुग का सर्वप्रथम सम्पादन डॉ. धर्मवीर भारती जी ने किया। धर्मयुग ने जन सामान्य में अपनी लोकप्रियता इतनी बना रखी थी कि हर प्रबुद्ध पाठक वर्ग के ड्राइंग रूप में इसका पाया जाना गर्व की बात माने जाने लगी थी। कुछ दिनों तक गणेश मंत्री (बम्बई) ने भी इसका सम्पादन किया। कुछ आर्थिक एवं आपसी कमियों के अभाव के कारण इसका सम्पादन कार्य रूक गया। `दिनमान´ का सम्पादन घनश्याम पंकज जी कर रहे थे साथ ही रविवार का सम्पादन उदय शर्मा के निर्देशन में आकर्षक ढंग से हो रहा था। इसी समय व्यंग्य के क्षेत्र में `हिन्दी शंकर्स वीकली´ का सम्पादन हो रहा था। `वामा´ हिन्दी की मासिक पत्रिका महिलापयोगी का सम्पादन विमला पाटिल के निर्देशन में हो रहा था। `इण्डिया टुडे´ पहले पाक्षिक थी, परन्तु आज यही साप्ताहिक रूप में अपनी ख्याति बनाये हुये है। अन्य मासिक पत्रिकाओं में `कल्पना´, `अजन्ता´, `पराग´, `नन्दन´, `स्पतुनिक´, `माध्यम´, `यूनेस्को दूत´, `नवनीत (डाइजेस्ट)´, `ज्ञानोदय´, `कादम्बिनी´, `अछूते´, `सन्दर्भ´, `आखिर क्यों´, `यूथ इण्डिया´, `जन सम्मान´, `अम्बेडकर इन इण्डिया´, `राष्ट्रभाषा-विवरण पत्रिका´, `पर्यावरण´, `डाइजेस्ट आखिर कब तक?´, `वार्तावाहक´ आदि अनेक महत्वपूर्ण पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है। `अजन्ता´ अब प्रकाशित नहीं हो रही है परन्तु `कल्पना´ अब भी जारी है। इसी तरह से `यूथ इण्डिया´ फर्रूखाबाद से राघवेन्द्र सिंह `राजू´ के कुशल निर्देशन में अपना विशिष्ट स्थान मासिक पत्रिका के रूप में बनाये हुये है। `अछूते सन्दर्भ´ दिल्ली से कमलेश चतुर्वेदी के दिशा निर्देशन एवं सम्पादकत्व में साहित्य एवं विविध सामाजिक पहलुओं को रेखाँकित करने में सहायक हो रही है। `जन-सम्मान´ मुरादाबाद से `मोहर सिंह´ के सम्पादकत्व में समाज में दलित लोगों की दिशा एवं दशा को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। राष्ट्रभाषा को सम्मान दिलाने की हैसियत से `राष्ट्रभाषा´, वर्धा से श्री अनन्तराम त्रिपाठी के सम्पादकत्व में प्रकाशित हो रही है। उड़ीसा से वार्तावाहक ब्रज सुन्दर पाढ़ी एवं `विवरण पत्रिका´, हैदराबाद से चन्द्रदेव भगवन्तराव कवड़े के सहयोग से अपनी निरन्तरता बनाये हुये है।[2]भारत में समाचार पत्रों का इतिहास
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 विश्व में पत्रकारिता का इतिहास (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) आइये सीखें पत्रकारिता (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 3 सितम्बर, 2012।
- ↑ हिंदी साहित्य के इतिहास में पत्र-पत्रिका की प्रांसगिकता (हिन्दी) सृजनगाथा। अभिगमन तिथि: 3 सितम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
प्रमुख विषय सूची
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें