ब्लागर मिले बाजार में
By 29/04/2012 12:35:00
लंबे समय
बाद दिल्ली में कुछ ब्लागर मिले. कभी वर्धा विश्वविद्यालय के इलाहाबाद
संस्करण में काम कर चुके सिद्धार्थशंकर त्रिपाठी लखनऊ से दिल्ली आये तो कुछ
ब्लागरों को बुलावा भेज दिया कि शाम को कनाट प्लेस के एम्बेसी रेस्टोरेन्ट
में मिलते हैं. ब्लागर मिले भी लेकिन उनके मिलने में इस बार अनोखेपन की
खुमारी न थी. ब्लागिंग का जो नशा कोई चार पांच साल पहले चढ़ा था उसके उतरने
का हैंगओवर लिए इन ब्लागरों के मिलने दो सामूहिक चिंता सामने प्रकट हुई.
एक, एग्रीगेटरों का खात्मा ब्लागरों के लिए खासा नुकसानदायक रहा. दो, सोशल
मीडिया ने ब्लाग के ब्ला ब्ला की ताकत छीन ली. दिल्ली के दिल कनाट प्लेस के
बाजार में ब्लागर मिले तो क्या हुआ, प्रेस रिलीज आई है, आप भी पढ़ लीजिए-
राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस के द एम्बेसी रेस्तरां में एक
हिंदी ब्लॉगर संगोष्ठी लखनऊ से पधारे हिन्दी के मशहूर ब्लॉगर सिद्धार्थ
शंकर त्रिपाठी के सम्मान में सामूहिक ब्लॉग नुक्कड़डॉटकॉम के
तत्वावधान में शनिवार को आयोजित की गई। इस मौके पर हिन्दी ब्लॉगिंग के
प्रभाव के सबने एकमत से स्वीकारा। देश विदेश में हिंदी के प्रचार प्रसार
में हिन्दी ब्लॉगिंग के महत्व को सबने स्वीकार किया और इसकी उन्नति के
मार्ग में आने वाली कठिनाईयों पर व्यापक रूप से विचार विमर्श किया गया।
संगोष्ठी में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद के जाने माने हिंदी ब्लॉगरों से
शिरकत की। सोशल मीडिया यथा फेसबुक, ट्विटर को हिंदी ब्लॉगिंग का पूरक माना
गया। एक मजबूत एग्रीगेटर के अभाव को सबसे एक स्वर से महसूस किया और तय
किया गया कि इस संबंध में सार्थक प्रयास किए जाने बहुत जरूरी है। फेसबुक आज
एक नेटवर्किंग के महत्वपूर्ण साधन के तौर पर विकसित हो चुका है। इसका
सर्वजनहित में उपयोग करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है।सामूहिक ब्लॉग नुक्कड़ के मॉडरेटर एवं चर्चित व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति ने हिंदी ब्लॉगिंग को समाज की बुराईयों से बचाने और प्राइमरी कक्षाओं में इसके पाठ्यक्रम आरंभ करने को वक्त की जरूरत के मामले को इस अवसर पर भी दोहराया। जिसका सभी उपस्थिति ब्लॉगरों ने सर्वसम्मति से समर्थन किया। एक और हिंदी ब्लॉगर संतोष त्रिवेदी ने कहा कि बहुत ही छोटे से नोटिस पर दूर दराज से ब्लॉगरों का इस संगोष्ठी में शामिल होना साबित करता है कि हिंदी ब्लॉगिंग का प्रभाव शिखर की ओर तेजी से बढ़ रहा है। कंटेंट के स्तर पर आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए जनसत्ता के संपादकीय विभाग में कार्यरत् फजल इमाम मल्लिक ने माना कि ऐसी स्थितियां तो प्रत्येक तकनीक के आरंभ में आती ही हैं। यह एक ऐसा मंच है जिसका पूरी जिम्मेदारी के साथ तभी उपयोग किया जा सकता है जबकि इस प्रकार के मेल मिलाप होते रहें। उन्होंने सबसे आवाह्न किया कि ब्लॉगर अपने अपने क्षेत्रों में इस प्रकार के भरसक प्रयास करें।
भड़ास4मीडिया के मॉडरेटर यशवंत सिंह ने जानकारी दी कि आगरा में एक ब्लॉगर अपने तकनीक ब्लॉग के जरिए एक से डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह तक कमाई कर रहे हैं। इसके अलावा भी कई जगहों पर ब्लॉगिंग से कमाई हो रही है। यह स्थिति निश्चय ही सुखद है। प्रत्यक्ष न सही, परंतु परोक्ष रूप से हिंदी ब्लॉगिंग से हो रही कमाई को अविनाश वाचस्पति ने भी स्वीकारा।
स्वास्थ्य संबंधी ब्लॉगों के मॉडरेटर के. राधाकृष्णन, पी 7 से जुड़े हर्षवर्द्धन त्रिपाठी, स्वतंत्र पत्रकार विष्णु गुप्त, अयन प्रकाशन के भूपाल सूद, डॉ. टी. एस. दराल, हिंद युग्म के शैलेश भारतवासी, सुलभ सतरंगी, कुमार कार्तिकेयन, गौरव त्रिपाठी, खुशदीप सहगल इत्यादि ने हिंदी ब्लॉगिंग के स्वस्थ विकास के लिए कई पहलुओं पर उद्देश्यपूर्ण चिंतन किया। सबने माना कि फिजूल की अश्लील एवं धार्मिक उन्माद संबंधी पोस्टों पर जाने से हर संभव बचा जाए। इस दूषित प्रवृत्ति पर भी चिंता प्रकट की गई कि चार पोस्टें लिखकर स्वयं को साहित्यकार समझने वालों को अपनी आत्ममुग्धता से निजात पानी चाहिए। यह बुराईयां स्वस्थ ब्लॉगिंग के विकास के लिए हितकर नहीं हैं।
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