विचारोत्तेजक बहस की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका अहम है. चौथे स्तंभ के रूप में इसके महत्व को देखते हुए इसके लिए जरूरी है उच्च गुणवत्ता की सटीक और तथ्यपरक रिपोर्टिंग. अब मीडिया आम आदमी की चिंता से जुडे मसलों पर आधारित खबरों के लिए ज्यादा स्थान दे रहा है जैसे- सरकार मेरे पैसों का किस तरह इस्तेमाल कर रही है, स्कूली शिक्षा कि स्थिति कैसी है, स्वास्थ्य सेवा संबंधी सुविधाएं, बिजली, पानी, देश-दुनिया के बाकि हिस्सों में बुनियादी ढांचा सुविधाएं, अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कैसे मेरे दैनिक जीवन को प्रभावित करती हैं और एक नई नीति को अपनाने से पहले मुझे पुरानी नीतियों और नए विचारों के बारे में क्या जानने की जरूरत है? हम ऐसे उदाहरणों की संख्या में इजाफा होते हुए देख रहे हैं जहां मीडिया की ओर से ब्रेक की गई खबरों के दबाव के चलते सरकार त्वरित जवाबी कार्यवाही करते हुए जरूरी कदम उठाती है. मीडिया कवरेज की मात्रा और गुणवत्ता में सामाजिक संस्थाओं की मौजूदगी उनके जागरुकता प्रयासों की सफलता का स्पष्ट संकेत है. सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक पटल भारत हर दिन तेजी से बदल रहा है और ऐसी स्थिति में देश की सामाजिक समस्याओं (खास तौर पर, देश में सरकारी सेवाओं की प्रभावशीलता और कार्यक्षमता के क्षेत्र में) की प्रकृति, कारणों और परिणामों को लेकर हमारे रवैये में सतत समन्वय की जरूरत है. ऐसे में यदि मीडिया पेशेवरों को इस बात की गहरी समझ हो कि पब्लिक पॉलिसी यानी लोक नीति क्या है, इसका निर्माण कैसे होता है, इसकी रचना कैसे होती है, यह कैसे काम करती है और नागरिकों पर पड़ने वाले इसके प्रभाव का मूल्यांकन कैसे करना है तो वे सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक मुद्दों की बेहतर ढंग से रिपोर्टिंग कर सकते हैं. ज्ञान के बेहतर आदान-प्रदान से उनकी सोच का दायरा बढ़ता है और रूढ़ीवादी समाधानों के समक्ष चुनौती पेश करने उनकी क्षमता बढ़ती है, वे पब्लिक पॉलिसी से जुड़े मुद्दों पर समाज और बाजार पर आधारित नए-नए समाधानों की खोज करते हैं जो समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान में मददगार हो सकते हैं. 15 अगस्त 1997 को स्थापित, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी (सीसीएस) एक स्वतंत्र, नॉन-प्रॉफिट पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक है, जो भारत के सभी नागरिकों के पुनरुत्थान के जरिए उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है. आज भारत शिक्षा, जीविका, प्रशासन और पर्यावरण जैसे लोक नीति संबंधी कई गंभीर मसलों का सामना कर रहा है. उनके प्रति अपनी पहल, शोध और अभिव्यक्ति के जरिए सीसीएस समाज और बाजार आधारित अभिनव विचारों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन बन गया है. सीसीएस छात्रों, नीति निर्धारकों, प्रोफेसरों आदि को ध्यान में रख कर प्रशिक्षण कार्यशालाओं और परिचर्चाओं का आयोजन करता है. (सीसीएस को यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया के एक अध्ययन में 2008 में एशिया के शीर्ष थिंक टैंकों की सूची मंो 8वां स्थान प्राप्त हुआ है.) मीडिया में अपनी सेवाओं का विस्तार करने के लिए सीसीएस 21 अगस्त 2010 को हिंदी भाषी पत्रकारों के लिए लोक नीति पर सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन कर रहा है. पहले टारगेट ग्रुप के रूप में, हम हिंदी मीडिया के साथ काम करना चाहते हैं क्योंकि इनकी सबसे बड़ी पाठक संख्या है और अंग्रेजी मीडिया की तुलना में इनके पास अपना ज्ञान बढ़ाने और प्रशिक्षण के लिए अवसर कम हैं. हिंदी में छात्रों के लिए कार्यशालाओं के आयोजन और हाल ही में हिंदी पोर्टल www.azadi.me की शुरुआत हमें इस कोर्स के लिए जरूरी आधार प्रदान करते हैं. इस कोर्स के लिए फ्रेडरिक नॉमन-स्टिफ्टंग फर डी फ्रीहीट (एफएनएफ) का सहयोग प्राप्त है. कोर्स का लक्ष्य: लोक नीति संबंधी मुद्दों पर नैतिक और तथ्यपरक रिपोर्टिंग की मात्रा और गुणवत्ता में इजाफा. कोर्स के उद्देश्य: -
नागरिकों पर पड़ने वाले लोक नीति के प्रभावों की समझ को बेहतर बनाना. खास तौर पर गरीबों और समाज के कमजोर तबके पर पड़ने वाले असर सबंधी समझ को मजबूत करना. समाज के इस वर्ग को बगैर सोचे-समझे और रूढ़िवादी तरीके से तैयार नीतियों के अनचाहे परिणामों का सामना करना पड़ता है.
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पत्रकारों को उन वस्तुपरक औजारों से सुसज्जित करना जो उन्हें लोक नीतियों को समझने और उनका मूल्यांकन करने में मदद करें ताकि वे वस्तुपरक तथ्यों और विषयपरक मशविरे के बीच बेहतर ढंग से फर्क कर सकें.
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पत्रकारों के बीच यह आत्मविश्वास जागृत हो सके कि वे अपनी रिपोर्टिंग के जरिए सामाजिक परिवर्तन ला सकते हैं.
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मीडिया पेशेवरों का एक ऐसा नेटवर्क तैयार करना जो ताजा घटनाक्रम और श्रेष्ठ तौर-तरीकों के बारे में सीखने के इच्छुक हों ताकि वे नीतिगत मुद्दों का उम्दा विश्लेषण कर सकें और इनके लिए नवीकृत समाधान पेश कर सकें.
पत्रकारों के लिए मुख्य फायदे: -
प्रमुख सामाजिक-आर्थिक मुद्दों संबंधी ताजा घटनाक्रम और अभिनव समाधानों के बारे में बेहतर समझ का विकास. देश की दशा सुधारने और गुणवत्ता सेवाओं के फायदे देश के सभी नागरिकों तक पहुंचाने के लिए सरकार, बाजारों और नागरिक समाज से वांछित भूमिका पर खास फोकस.
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एक ठोस लोक नीति के बारे में बेहतर समझ से पत्रकारों को अपनी रोजमर्रा की रिपोर्टिंग को एक आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक खूबियां जोड़ने में मदद मिलेगी.
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मीडियाकर्मियों के लिए एक फोरम तैयार होगा जहां महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों के बारे में जानने, सीखने और के आलोचनात्मक विश्लेषण और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में समाधान खोजे जा सकेंगे.
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यहां देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित वक्ताओं, विशेषज्ञों, नेताओं के साथ बातचीत का मौका मिलेगा.
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साथी मीडिया पेशेवरों के साथ अनुभव, विचार और चुनौतियां साझा करने का मौका मिलेगा.
समाचार-पत्रों को होने वाले फायदे -
बुनियादी मुद्दों के गहन विश्लेषण पर केंद्रित बेहतर गुणवत्ता की रिपोर्टिंग ताकि पाठकों को वास्तविक और नवीन समाधान मिल सकें.
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जमीन तोड़ने वाली ऐसी रिपोर्टों के लिए अधिक मौके जिनसे सरकार पर दबाव बने और वह प्रतिक्रिया व्यक्त करने और कार्रवाई करने के लिए बाध्य हो सके.
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प्रशिक्षित स्टाफ जिसे लोक नीति सिद्धांतों और मुद्दों की समझ हो और वह सोचने और रिपोर्टिंग के पुरातन पंथी तौर-तरीकों को चुनौती दे.
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सीसीएस के शोध, संसाधनों और विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों तक पहुंच
विषय और विधि कोर्स के दौरान नीचे लिखे विषयों पर चर्चा होगी- -
गरीबी उन्मूलन और संपत्ति का सृजन
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सरकारः जवाबदेही, पारदर्शिता और उपादेयता
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अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका और प्रासंगिकताः विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, संयुक्त राष्ट्र
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उदारीकरण और वैश्वीकरणः आजीविका की आजादी अमीर या गरीब के लिए?
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शिक्षाः पसंद और प्रतिस्पर्धा की भूमिका
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आधुनिक भारत में हिंदी मीडिया की भूमिका
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आचार संहिताः समाचार रिपोर्टिंग की चुनौतियां
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प्रेस और सूचना की आजादीः चुनौतियां और रणनीति
सर्टिफिकेट कोर्स का प्रारूप इस प्रकार होगा कि इसमें संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों के ज्ञान के साथ ही सहभागिता आधारित विधियों जैसे समूह चर्चा, वृत्त चित्रों का प्रदर्शन आदि शामिल होंगे ताकि पत्रकारों को अपने अनुभव, विचार और चुनौतियां समूह के भीतर साझा करने का मौका मिले. लक्षित समूह और भाग लेने की प्रक्रिया यह कोर्स मध्यम स्तर के मीडिया पेशेवरों के लिए है जिन्हें कुछ अनुभव प्राप्त है. इनमें वरिष्ठ संवाददाता, फीचर लेखक, बीट रिपोर्टर, असिस्टेंट/सब-एडिटर आदि शामिल हैं. यह कोर्स हिंदी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, रेडियो और ऑनलाइन मीडिया के सभी पत्रकारों के लिए खुला है और इनके जो पत्रकार चाहें यहां सीधे सीसीएस को आवेदन कर सकते हैं. कोर्स के दौरान होने वाले हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में बातचीत होगी इसलिए अपने आवेदन भेजते समय कृपया इस तथ्य को ध्यान में रखे. कोर्स के प्रत्येक सत्र का स्वरूप इस प्रकार तैयार किया गया है कि इसमें भाग लेने वाल सभी पत्रकार बातचीत में पूरी तरह शामिल हो सके और इसी वजह से कोर्स के लिए 25 लोगों के लिए सीटें निर्धारित की गई हैं. कृपया ध्यान रखिए कि चुने गए कैंडिडेट्स को कोर्स की समूची अवधि में भाग लेना होगा और कोर्स के अंत में उन्हें सर्टिफिकेट इन पब्लिक पॉलिसी प्रदान किया जाएगा. सीसीएस कोर्स के लिए चुने हुए पत्रकारों के बोर्डिंग, लॉजिंग, आने-जाने का रेल यात्रा भाड़ा और स्थानीय यात्रा खर्च वहन करेगा. |
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